
डायबिटिक नेफ्रोपैथी: एक सरल और उपयोगी मार्गदर्शिका
डायबिटिक नेफ्रोपैथी: जानिए डायबिटीज से होने वाले किडनी के नुकसान के बारे में
डायबिटिक नेफ्रोपैथी, जिसे डायबिटीज से होने वाला किडनी रोग भी कहते हैं, डायबिटीज का एक गंभीर साइड इफेक्ट है। इसमें लंबे समय तक हाई ब्लड शुगर की वजह से किडनी के छोटे-छोटे फिल्टर खराब हो जाते हैं, जिससे किडनी सही से खून साफ नहीं कर पाती। आइए इसे आसान भाषा में समझते हैं।
डायबिटिक नेफ्रोपैथी के कारण-
अगर ब्लड शुगर लंबे समय तक कंट्रोल में नहीं रहता, तो वह किडनी की नाज़ुक नसों को नुकसान पहुंचाता है। इसके अलावा कुछ और कारण हैं:
1. ब्लड प्रेशर का ज्यादा होना: हाई ब्लड प्रेशर किडनी पर ज्यादा दबाव डालता है और उसे कमजोर कर देता है।
2. पारिवारिक इतिहास: अगर आपके परिवार में किसी को किडनी की बीमारी रही है, तो आपका जोखिम बढ़ सकता है।
3. डायबिटीज का लंबा समय: जितना लंबे समय तक आपको डायबिटीज है, किडनी को नुकसान होने का चांस उतना ही ज्यादा है।
4. लाइफस्टाइल: स्मोकिंग, ज्यादा नमक खाना और एक्टिव न रहना भी किडनी को नुकसान पहुंचा सकता है।
डायबिटिक नेफ्रोपैथी के लक्षण-
शुरुआत में इसके कोई खास लक्षण नहीं दिखते, लेकिन जैसे-जैसे यह बढ़ता है, आपको ये दिक्कतें हो सकती हैं:
• सूजन: पैरों, टखनों या आंखों के नीचे सूजन आना।
• झागदार पेशाब: पेशाब में झाग आना, जो पेशाब में प्रोटीन होने का संकेत है।
• ब्लड प्रेशर का बढ़ना: ब्लड प्रेशर ज्यादा हो जाना।
• थकान और कमजोरी: हर समय थका-थका महसूस करना।
• पेशाब में बदलाव: पेशाब की मात्रा या रंग बदल जाना।
डायबिटिक नेफ्रोपैथी की जांच कैसे होती है?
अगर आपको डायबिटीज है, तो समय-समय पर किडनी की जांच करवाना बहुत जरूरी है। इसके लिए डॉक्टर निम्नलिखित टेस्ट कर सकते हैं:
1. मूत्र टेस्ट (Urine Test): पेशाब में प्रोटीन की जांच, जो किडनी की शुरुआत की समस्या का संकेत देती है।
2. ब्लड टेस्ट: क्रिएटिनिन और यूरिया की जांच से पता चलता है कि किडनी कितनी ठीक से काम कर रही है।
3. eGFR: यह टेस्ट बताता है कि आपकी किडनी खून को फिल्टर करने में कितनी सक्षम है।
डायबिटिक नेफ्रोपैथी का इलाज और मैनेजमेंट-
डायबिटिक नेफ्रोपैथी का कोई परमानेंट इलाज नहीं है, लेकिन सही देखभाल से इसे कंट्रोल किया जा सकता है।
1. ब्लड शुगर कंट्रोल करें:
• रोज़ ब्लड शुगर की निगरानी करें।
• डॉक्टर द्वारा दी गई दवाइयां और इंसुलिन समय पर लें।
• हेल्दी डाइट लें और शुगर वाली चीज़ें कम खाएं।
2. ब्लड प्रेशर कंट्रोल करें:
• ब्लड प्रेशर 130/80 से कम रखें।
• डॉक्टर की सलाह से ACE इनहिबिटर्स या ARBs जैसी दवाइयां लें।
3. सही आहार लें:
• नमक, प्रोटीन और पोटैशियम का सेवन सीमित करें।
• ताजे फल और सब्जियां खाएं।
4. धूम्रपान छोड़ें: स्मोकिंग किडनी को और ज्यादा नुकसान पहुंचा सकता है।
5. एक्टिव रहें: रोज़ाना 30 मिनट की वॉक या हल्का व्यायाम करें।
डायबिटिक नेफ्रोपैथी से बचाव के उपाय
• ब्लड शुगर और ब्लड प्रेशर की नियमित जांच करें।
• हर साल किडनी की जांच कराएं।
• संतुलित आहार और नियमित एक्सरसाइज करें।
• पर्याप्त पानी पिएं, लेकिन जरूरत से ज्यादा नहीं।
समय पर पहचान क्यों जरूरी है?
अगर डायबिटिक नेफ्रोपैथी का समय पर पता नहीं चला, तो यह धीरे-धीरे बढ़कर किडनी फेलियर तक पहुंच सकती है। शुरुआती स्टेज में पहचान और इलाज से इसे धीमा किया जा सकता है, और डायलिसिस या ट्रांसप्लांट की जरूरत को टाला जा सकता है।
निष्कर्ष-
डायबिटीज होने का मतलब यह नहीं है कि आपको किडनी की बीमारी होनी ही है। सही लाइफस्टाइल और डॉक्टर की सलाह के साथ आप अपनी किडनी को सुरक्षित रख सकते हैं। ध्यान रखें कि आपकी सेहत आपके हाथ में है। समय पर जांच कराएं और सही कदम उठाएं।
